शनिवार, 7 दिसंबर 2024

अ से अमिताभ : परिप्रेक्ष्य 31


शमिताभ,2015 निर्देशन: आर.बाल्की छायांकन: पी.सी. श्रीराम


***


जब शोर-शराबा थम जाए

जब मन अपने में रम जाए

ना ज्यादा कोई समझाए

तब बात कहेंगे हम अपनी 


 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

चाँद कितना हसीन है !

    चाँद कितना हसीन है  !         1 आधा मुँह ढके मुरझाया पड़ा  चाँद हवा  गुमसुम उदास रात  परेशान जगी-जगी बेटे चाँद को बुखार आया है माँ रात ...