“झूठ बोलने से अच्छा है, कुछ
न बोलना”
एक नज़र,1972 निर्देशक: बी.आर.इशारा लेखक: राजकुमार बेदी
***
तुमने कहा नहीं
तुम्हें इंतज़ार था
मैंने कहा नहीं
सब ठीक है यहाँ
"झूठ बोलने से
अच्छा है,
कुछ न
बोलना"
अलग बात
है लेकिन, कि
चुप ने हमारी
कर दिए हैं
राज़ सब बयां !
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