“हर वो काम
जिससे दूसरों को परेशानी हो
पर्सनल नहीं हो सकता”
दोस्ताना,1980 निर्देशक: राज खोसला लेखक: सलीम-जावेद
***
आदमी
अपनी व्यक्तिगत सहूलियतों का
बंधक है
सड़क पर गाड़ी लगानी हो
हो कचरा फेकना घर का
उड़ाना हो मज़ाक ही किसी का
बस कर गुज़रता है, उसके लिए
कर गुज़रना ही काफ़ी है
!
सिर्फ़ अधिकार ही नहीं होता
कुछ कर्तव्य भी होता है अपना
कोई थोड़ा भी सही
कभी यह तो सोचता--
"हर वो काम
जिससे दूसरों को
परेशानी हो
पर्सनल नहीं हो सकता" !
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