अमर अकबर एन्थनी, 1977 निर्देशन: मनमोहन देसाई
छायांकन: पीटर परेरा
***
समझिए !
बात
बिल्कुल साफ़ है
आदमी
अपना
महरम* आप है
बाकी सब मज़ाक है
!
*महरम – परम आत्मीय
चाँद कितना हसीन है ! 1 आधा मुँह ढके मुरझाया पड़ा चाँद हवा गुमसुम उदास रात परेशान जगी-जगी बेटे चाँद को बुखार आया है माँ रात ...
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