नमक हराम, 1973 निर्देशन: हृषिकेश मुखर्जी छायांकन: जयवंत पठारे
***
ज़ब्त करें, कैसे करें
और कहें तो क्या कहें
मिलते नहीं ख़याल
दुनिया के ख़याल से
उलझे हुए हैं कबसे
इस सवाल से
सब्र की कमी है ये
या हौसले की है ?!
कवि की क्लास [ एक सर्वथा काल्पनिक घटना से प्रेरित ] ( एक) हरेक माल सात सौ पचास वे कवि बनाते खासमखास कवि बनो, छपाओ, बँट...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें