***
ज़ब्त करें, कैसे करें
और कहें तो क्या कहें
मिलते नहीं ख़याल
दुनिया के ख़याल से
उलझे हुए हैं कबसे
इस सवाल से
सब्र की कमी है ये
या हौसले की है ?!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें