शनिवार, 7 दिसंबर 2024

अ से अमिताभ : कथन-उपकथन 06


रहीम चाचा, जो पच्चीस बरस में नहीं हुआ

 वो अब होगा

 दीवार,1975  निर्देशक: यश चोपड़ा  लेखक: सलीम-जावेद 


***

रहीम चाचा ने दुनिया देखी थी

उन्होंने बसंत भी देखे थे

पतझड़ भी

उनके तजुर्बों ने बनाया था

उनका वजूद

उन्होंने यह समझ लिया था

भलाई

यथास्थिति को बनाए रखने में है



उसकी उमर नई थी

उसके हौसलों में जान थी

उसके खून में गरमी

रगों में हरारत थी

उसे करना था

ज़माने से दो-दो हाथ

उसे दुनिया को 

समझना था

समझाना था


उन दोनों के

कपड़ों का रंग एक था

पर, मिजाज का अलग


रहीम चाचा बरसों से

देखते आ रहे थे यही सब

करते आ रहे थे यही सब

 

उसने कहा उनसे

" रहीम चाचा

जो पच्चीस बरस में नहीं हुआ

वो अब होगा"

और महसूस किया रहीम चाचा ने सहसा

यही आग तो एक उम्र से

उनके भी भीतर थी  ! 


आग तो सबके भीतर है

सवाल ये है

            कि उस आग का करते क्या हैं  !!

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