"सोना गलकर ही तो ज़ेवर बनता है"
बॉम्बे टू गोआ,1972 निर्देशक: एस. रामनाथन लेखक: राजेन्द्र कृष्ण
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"सोना गलकर ही तो
ज़ेवर बनता है"
अब
आग जलाएँ, तो कैसे
तप कर गल जाएँ, तो कैसे !
अपने मन के सोने से
उनके मन के मनचाहे
ज़ेवर बन जाएँ, तो कैसे !
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