शनिवार, 7 दिसंबर 2024

अ से अमिताभ : कथन-उपकथन 02


"सोना गलकर ही तो ज़ेवर बनता है"

बॉम्बे टू गोआ,1972 निर्देशक: एस. रामनाथन लेखक: राजेन्‍द्र कृष्ण 


***

"सोना गलकर ही तो

 ज़ेवर बनता है"



अब 

आग जलाएँ, तो कैसे

तप कर गल जाएँ, तो कैसे  ! 

अपने मन के सोने से

उनके मन के मनचाहे

ज़ेवर बन जाएँ, तो कैसे  !  


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