“इंतज़ार के चौबीस घंटे
चौबीस साल से भी बड़े होते हैं”
बेमिसाल, 1982 निर्देशक: हृषिकेश मुखर्जी लेखक: राही मासूम रज़ा
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जो प्रेम में पड़े होते हैं, वे
"इंतज़ार के
चौबीस घंटे
चौबीस साल से भी बड़े होते हैं"
है कि सच यही
दिन तो वही
ज़िंदगी के, सबसे
हरे-भरे होते हैं !
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