अग्निपथ,1991 निर्देशन: मुकुल आनंद छायांकन: प्रवीण भट्ट
***
अंगारों पे चलना
किसी आग में जलना
हरेक के बस की तो
यह बात ही नहीं है
जिसमें अगन जगी है
जिसकी लगन लगी है
राह जिसकी खोखले
जज़्बात की नहीं है
कि वो ही चल सका है
कि वो ही जल सका है
चाँद कितना हसीन है ! 1 आधा मुँह ढके मुरझाया पड़ा चाँद हवा गुमसुम उदास रात परेशान जगी-जगी बेटे चाँद को बुखार आया है माँ रात ...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें