रविवार, 8 दिसंबर 2024

अ से अमिताभ : परिप्रेक्ष्य 09


शोले, 1975  निर्देशन: रमेश सिप्पी   छायांकन: द्वारका दिवेचा


***


आँखें जो बयां करती हैं 

सुना करो

तुम उसको

वरना

इस ज़िंदगी में

झूठ बहुत है

फ़रेब बहुत है ...!  

 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

चाँद कितना हसीन है !

    चाँद कितना हसीन है  !         1 आधा मुँह ढके मुरझाया पड़ा  चाँद हवा  गुमसुम उदास रात  परेशान जगी-जगी बेटे चाँद को बुखार आया है माँ रात ...