शोले, 1975 निर्देशन: रमेश
सिप्पी छायांकन: द्वारका दिवेचा
***
आँखें जो
बयां करती हैं
सुना करो
तुम उसको
वरना
इस
ज़िंदगी में
झूठ बहुत
है
फ़रेब
बहुत है ...!
चाँद कितना हसीन है ! 1 आधा मुँह ढके मुरझाया पड़ा चाँद हवा गुमसुम उदास रात परेशान जगी-जगी बेटे चाँद को बुखार आया है माँ रात ...
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