“सब मिले हुए हैं ! सब मिले हुए हैं !”
हम, 1990 निर्देशक: मुकुल आनंद लेखक: कादर खान
***
बहुत मुहब्बत
रखते हैं
कहने
को इज़्ज़त करते हैं
लेकिन
हमने देखा है
जब
भी उनको परखा है
हमने
ऐसा पाया है
कि
खूब हमें छकाया है
कि
हाथ सबके बँधे हुए हैं
कि
होंठ सबके सिले हुए हैं
जाने
क्यों ऐसा लगता है
सबके
सब ही मिले हुए हैं
" सब मिले हुए
हैं !
सब मिले हुए
हैं " !
लेकिन
हम भी पिले हुए हैं
हम
तो फिर भी पिले हुए हैं !!
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