'अ से अमिताभ' कविता-संग्रह में दो खंड हैं । पहले खंड, 'परिप्रेक्ष्य', में अमिताभ बच्चन की फिल्मों के कुछ दृश्य और उनसे प्रेरित कविताएँ हैं । दूसरे खंड, 'कथन-उपकथन', में उनकी फिल्मों के कुछ संवाद और उन संवादों को शामिल करती हुई कविताएँ हैं । आशा है आपको अच्छी लगेंगी । -- चेतन
सात हिन्दुस्तानी, 1969 निर्देशन: ख्वाजा अहमद अब्बास छायांकन: एस.रामचंद्र
[ फिल्मों में पहला सीन, पहला
डायलॉग]
***
“सिन्हा भाई
ज़रा ये तो पढ़िए”
कि ख़त कब
का निकल आया है
कोई
माने न माने, ख़तों ने
जीवन
को सजाया है
ख़तों
का
जब से
छूटा है चलन
जंगल
हो रहा है आदमी का मन
हथेलियों
पर हैं सारे संदर्भ,
संपर्क
सारे, और आदमी निपट अकेला
भरमाया है...
वो ज़माना याद
आया है !!
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