नसीब,1981 निर्देशन: मनमोहन देसाई छायांकन: जाल मिस्त्री
***
गिरने में
शर्म
की
कोई
बात नहीं है
चलने
की करता कोशिश
गिरता
भी वही है
चलना
गिरना
गिरकर
उठना
जीवन
तो यही है
हौसला
बुलंद
और
नज़र ऊपर
बस, करना
तो यही है
फिर बस में
क्या नहीं है !!
चाँद कितना हसीन है ! 1 आधा मुँह ढके मुरझाया पड़ा चाँद हवा गुमसुम उदास रात परेशान जगी-जगी बेटे चाँद को बुखार आया है माँ रात ...
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