तुम्हारे लिए
सँभालता हूँ चीजों को
सजाता हूँ घर को भी
खींचता हूँ
उतरती हुई शाम की तस्वीरें
बाँधता हूँ मंसूबे
यहाँ-वहाँ जाने के
बनाता हूँ फेहरिस्त
कि क्या-क्या लेना है सामान....
गैरहाजिरी में तुम्हारी
करता हूँ वो सब
जो करना था तुम्हारे साथ
तुम्हारे लिए ।
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