शुक्रवार, 20 जून 2025

माँ


 


माँ

 

बचपन की भूख-प्यास 

जरूरत हर आम, खास 

पहचानती है 

माँ सब जानती है

होती है हर क्षण की खबर 

कहे, न कहे कुछ भी अगर 

भले ही हम कितने बड़े हो गए हों 

मगर फिर भी 

हर खुशी, हर आघात 

छोटी-बड़ी, अच्छी-बुरी हर एक बात 

बोली से, नज़रों से हमारी 

छानती है 

माँ सब जानती है ।


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