माँ
बचपन की भूख-प्यास
जरूरत हर आम, खास
पहचानती है
माँ सब जानती है
होती है हर क्षण की खबर
कहे, न कहे कुछ भी अगर
भले ही हम कितने बड़े हो गए हों
मगर फिर भी
हर खुशी, हर आघात
छोटी-बड़ी, अच्छी-बुरी हर एक बात
बोली से, नज़रों से हमारी
छानती है
माँ सब जानती है ।
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