नाराज़गी
एक रोज़ मैंने सोचा
कि उन सारे लोगों की फेहरिस्त बनाई जाए
जिनसे मुझे नाराज़ होना चाहिए
पहले मैंने ढूँढ़े मुद्दे
और शामिल किया उन लोगों को
जिन्होंने मुझे याद नहीं रखा
या जो जानबूझ कर मुझे भूल गए
जिन्होंने मुझसे ढंग से बात नहीं की
जिन्होंने मुस्कुरा कर मेरी तरफ नहीं देखा
जिन्होंने हाथ नहीं बढ़ाए मेरी तरफ --
वो सारे लोग जिनके लिए
मेरे वजूद की कोई अहमियत नहीं
मेरी खुशी से जिन्हें कोई सरोकार
नहीं मेरे अहं का जिन्हें कुछ खयाल नहीं
मगर फिर मेरे दिल से ये आवाज़ आई
'उन सारे लोगों से
जिनकी नज़रों में, जिनके
दिलों में
तुम्हारे लिए जगह नहीं
उनसे नाराज़गी हो तो क्योंकर हो ?
उनके लिए तुम्हारी नाराजगी
तुम्हारे दिल में उनके लिए जगह बताती है
तुम्हारे लिए उनकी अहमियत को साबित करती है
और नाराज़गी का ये मकसद नहीं, कतई नहीं
उनसे नाराज़गी दिखानी है तो
उनसे नाराज़ रहने की कोशिशें छोड़ दे
उनको भूल जा
इस तरह
कि उनका वजूद तेरे लिए
एक सिफ़र से ज्यादा कुछ न रहे
बस सिफ़र !'
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