शुक्रवार, 20 जून 2025

नाराज़गी


 

नाराज़गी

 

एक रोज़ मैंने सोचा 

कि उन सारे लोगों की फेहरिस्त बनाई जाए

जिनसे मुझे नाराज़ होना चाहिए 

पहले मैंने ढूँढ़े मुद्दे 

और शामिल किया उन लोगों को 

जिन्होंने मुझे याद नहीं रखा 

या जो जानबूझ कर मुझे भूल गए 

जिन्होंने मुझसे ढंग से बात नहीं की 

जिन्होंने मुस्कुरा कर मेरी तरफ नहीं देखा 

जिन्होंने हाथ नहीं बढ़ाए मेरी तरफ -- 

वो सारे लोग जिनके लिए 

मेरे वजूद की कोई अहमियत नहीं 

मेरी खुशी से जिन्हें कोई सरोकार 

नहीं मेरे अहं का जिन्हें कुछ खयाल नहीं 

मगर फिर मेरे दिल से ये आवाज़ आई 

'उन सारे लोगों से 

जिनकी नज़रों में, जिनके दिलों में 

तुम्हारे लिए जगह नहीं 

उनसे नाराज़गी हो तो क्योंकर हो ?

उनके लिए तुम्हारी नाराजगी

तुम्हारे दिल में उनके लिए जगह बताती है 

तुम्हारे लिए उनकी अहमियत को साबित करती है

और नाराज़गी का ये मकसद नहीं, कतई नहीं 

उनसे नाराज़गी दिखानी है तो 

उनसे नाराज़ रहने की कोशिशें छोड़ दे

उनको भूल जा

इस तरह

कि उनका वजूद तेरे लिए

एक सिफ़र से ज्यादा कुछ न रहे

बस सिफ़र !


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