तुम्हारी याद
कभी कुछ नहीं लिखा
तुम्हारी आँखों पर
तुम्हारी मुस्कुराहट पर, तुम्हारे
लहजे पर
तुमको देखने, तुमसे मिलने की खुशी पर
क्योंकि
एक डर-सा लगता है मुझको
कि लिख देने से इन बातों को
मन उमड़ के आ जाएगा पन्नों पर
फिर
महीने-दो महीने, साल भर में
बँध जाएगा रद्दी के बंडल में
और मैं चाहता हूँ
मुझको तरोताज़ा करती तुम रहो मेरी यादों में
बरसों, बरसों तक....।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें