शुक्रवार, 20 जून 2025

तुम्हारी याद


 

तुम्हारी याद

 

कभी कुछ नहीं लिखा 

तुम्हारी आँखों पर 

तुम्हारी मुस्कुराहट पर, तुम्हारे लहजे पर 

तुमको देखने, तुमसे मिलने की खुशी पर 

क्योंकि

एक डर-सा लगता है मुझको 

कि लिख देने से इन बातों को 

मन उमड़ के आ जाएगा पन्नों पर 

फिर

महीने-दो महीने, साल भर में 

बँध जाएगा रद्दी के बंडल में 

और मैं चाहता हूँ 

मुझको तरोताज़ा करती तुम रहो मेरी यादों में 

बरसों, बरसों तक....।


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