शुक्रवार, 20 जून 2025

राहत


 

राहत

 

रात जिस डर के साथ सोया था 

सुबह वो डर गायब था

मानो कोई सर पर हाथ रख गया हो सोते में 

दिन में घड़ी भर को 

तबीअत बेचैन हुई थी, वो भी 

संभल गई देखते-देखते 

दिनों बाद 

आज दिन गुजरा है संयत-सा 

लगता है 

किसी ने मन्नत मानी है

दुआ की है मेरे लिए !


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