शुक्रवार, 20 जून 2025

यथास्थिति !


 


यथास्थिति !

 

दमित अभिव्यक्ति 

शमित ऊर्जा हृदय की 

छद्म संस्थागत प्रणाली 

गर्त व्यक्तिगत अहं की

 

सर्वव्यापी विमूढ़ता 

सर्वग्रासी अकर्मण्यता 

संवेदनहीन संरचना 

नीचे गूँगी, ऊपर बहरी


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