शिकायत
कभी तुम ज़िद करो
लड़ लो, झगड़ लो मुझसे
कि चाहिए मुझे ये चीजें,
ये सामान
बाँह पकड़ के खींच ले चलो बाजार
और दुकानों पे जाकर
पसंद करो अपने हिसाब से चीजें
कभी मेरी जेब से
निकाल ले जाओ कुछ पैसे बिना पूछे
और ले आओ
आइसक्रीम का एक डब्बा,
'थम्स अप' की एक बोतल
कभी बेधड़क मना कर दो
कि नहीं, अब और नहीं
कुछ खा लो, फिर मिलेगी चाय
कभी तो भूल जाया करो
लिहाज़ो-तकल्लुफ़
कभी तो लगे
कि कुछ तुमको भी एतबार है मुझ पर
कुछ इख्तियार है मुझ पर तुम्हारा भी
वरना हर घड़ी
मेरे रुख को देख कर बातें करना
मेरी परेशानी का सोच कर चुप हो जाना
मेरी दिक्कतों का ही खयाल करते जाना
तुम्हीं कहो ये कहाँ तक ठीक है?
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