शुक्रवार, 20 जून 2025

सौ, दो सौ, पाँच सौ- रुपया, डॉलर, पाऊंड


 

सौ, दो सौ, पाँच सौ- रुपया, डॉलर, पाऊंड

 

सौ, दो सौ, पाँच सौ-रुपया, डॉलर, पाऊंड 

डिगते-बिकते सब हैं, सबका अपना-अपना ग्राउंड 

अपना-अपना ग्राउंड है सबका, सबकी घोर विवशता 

ऐसे सारे विवश लोगों में कैसी पक्की एकता 

पक्की कैसी एकता, कितना है अभिमान 

किसने कितना बेचा, कितनी किसकी चली दुकान 

चली किसकी दुकान, कहाँ है किसका बोलबाला 

झूठ, झूठ, बस झूठ अब किसको काटे कौआ काला 

काटे काला कौआ किसको, सबकी मोटी-मोटी चमड़ी 

आँख का पानी मर गया पर सबकी ऊँची-ऊँची पगड़ी 

पगड़ी ऊँची-ऊँची सबकी, मदोन्मत्त व्यवहार 

सत्य धर्म सत्कर्म का कैसे हो निस्तार 

कैसे हो निस्तार हे भगवन् ?, इक आपका आधार 

इस जुग में भी आपका होगा क्या अवतार ?!


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