उम्मीद
आदमी संभलता कब है
जब गिरता है
गिरता कब है
जब चलता है
चलता कब है
जब पैरों पर खड़ा होता है
और पैरों पर कब खड़ा होता है
जब दूसरे के हाथों का सहारा छूटता है--
तो शायद अब
मैं भी गिर जाऊँ,
संभल जाऊँ...!
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