शुक्रवार, 20 जून 2025

चेतावनी


 

चेतावनी

 

ओ ऊँचे ओहदे वाले बाबू 

ओ बिन पेंदी के लोटे बाबू

ऐसे कैसे रह लेते हो 

जाने कैसे सह लेते हो 

कभी तो कर लो बात काम की 

कब तक खाओगे हराम की 

कुछ सोचो, कुछ शरम करो तो 

अपना जो हो धरम, करो तो 

याचक की नहीं, दाता की सुन लो 

चुनो तो सही, कुछ भी चुन लो 

क्यों व्यर्थ गँवाते हो अवसर 

जीवित हो, नहीं हो पत्थर 

'गर पत्थर हो तो खासकर 

बैठो मत फिर नई घास पर 

मत डालो भार कमानी पर

गर्म खून, जवानी पर 

जब भार हिलेगा, सोचो फिर

जब जोर चलेगा, सोचो फिर ?

हुँकार उठेगा, सोचो फिर

प्रतिकार मिलेगा, सोचो फिर ?

जाओ दिशा-ज्ञान ले कर आओ 

मन कर्म-प्रधान ले कर आओ

वरना फिर जब तोड़ बंध 

ऊर्जा बहेगी दिशा-अंध 

फिर नाद प्रलय का गूंजेगा 

उपाय नहीं कुछ सूझेगा 

तब काम न कोई आएगा 

तब सोचो कौन बचाएगा 

तब कैसे हाथ फैलाओगे 

तुम क्या मुँह ले कर आओगे ?!


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