शुक्रवार, 20 जून 2025

ध्रुव-सत्य


 

ध्रुव-सत्य

 

माँ 

कर लेती है खुद को 

नेपथ्य में 

धीरे-धीरे, चुपचाप

पिता भी

गैरजरूरी-सी जरूरतों की आड़ में 

छिपा ले जाते हैं निराशा, पीड़ा अपनी

ध्रुव-सत्य शायद यही है

एकाकीपन -- नितांत !

शायद ये

अशक्त सारे बंधन -- पूर्णरूपेण !

और शायद ये

गैरजिम्मेदाराना प्रवृत्ति की

काठ-हृदय पीढ़ी -- हम !!


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