शुक्रवार, 20 जून 2025

खूबरू चेहरा


 

खूबरू चेहरा

 

इतना हसीन चेहरा और मेरे इतने करीब 

या खुदा, मैं होश में तो हूँ!

 

एक खूबरू चेहरा है 

मेरे रूबरू है 

मगर अपने ही खयालों में गुम....!

 

ये धड़कनों का सुकूत, ये निगाहों का ख्वाबीदापन 

इन आँखों में कई ख्वाब जगाए जाता है-

कि अब से कुछ देर पहले 

न ये चेहरा मेरे लिए था, न मेरी आँखें इस चेहरे के लिए 

और अब 

जब कुछ देर बाद राहें फिर से जुदा होंगी 

एक याद-सी साथ होगी 

अजनबी ही सही, मगर अपनी 

निहायत अपनी !


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें