तराश
ये जीवन
पत्थर का एक टुकड़ा है
'गर तराशें सही ढंग से
तो सुंदर हो सकता है जीवन
मगर तराशना इसको
बहुत मुश्किल काम है
मूल्यों, आदर्शों, भावनाओं की
छेनी-हथौड़ी बहुत मजबूत होनी चाहिए, बहुत पैनी
कि ध्यान कभी हटे नहीं, बँटे नहीं
क्योंकि
एक हाथ भी उल्टा, गलत पड़
जाए
तो हो सकता है कि
जो शक्ल देना चाह रहें हो हम
अपनी जिंदगी को
उसकी नाक ही कट के रह जाए
कुछ प्रिय मगर गलत हिस्सों को
हटाना होता है, छाँटना
होता है
मन को रोकना होता है, टोकना होता
है
परखना होता है बहुत
कि पत्थर को तराशना
काम आसान नहीं है
मगर यह भी तो है कि तराश दिए जाने पर एक बार
फिर जाती नहीं है खूबसूरती
बिगड़ता नहीं है रूप
अब पत्थर का एक टुकड़ा तो
अपने पास भी है...!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें