वजूद
ये मौसम है
ये मैं हूँ, ये तू है
बस और कुछ भी तो नहीं
मौसम का तो खैर कुछ वजूद ही नहीं
ये जो 'मैं' है, वो 'तू' के रहमो-करम पर है
और ये जो 'तू' है-
खुदा से भी किसी ने पूछा है
कि वो क्या है, क्यूँ है ?!
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