शुक्रवार, 20 जून 2025

वजूद


 

वजूद

 

ये मौसम है 

ये मैं हूँ, ये तू है 

बस और कुछ भी तो नहीं 

मौसम का तो खैर कुछ वजूद ही नहीं 

ये जो 'मैं' है, वो 'तू' के रहमो-करम पर है 

और ये जो 'तू' है-

खुदा से भी किसी ने पूछा है 

कि वो क्या है, क्यूँ है ?!


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