शुक्रवार, 20 जून 2025

उदासी


उदासी

 

आधा-अधूरा चाँद

कुम्हलाया हुआ

दिखता है

किले की दीवार से सर टिकाए हुए -- 

ये कोई आईना है

जिसमें मेरा अक्स दिखता है

या ये कोई पाती है

कि जिसमें तुम्हारी खबर आती है ! 

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