गुरुवार, 15 मई 2025

मुस्कुराते रहिए


चित्र : इंटरनेट से साभार


 

मुस्कुराते रहिए

 

      [१]

 

तुम्हारी मुस्कान ही है

पहचान तुम्हारी

 

जब नाम नहीं था

ढूँढ़ी गई मिसाल

बेहतरीन नामों में

और तुम ठहरीं

खुद ही बेमिसाल !

 

तुम्हारी उपस्थिति से

रजत-पट पर  तटस्थ

कोई बचा होगा भला ?

तुमने तो अपने साथ

समय को भी बहा लिया जैसे !

 

तुम्हारे बाद तो लगता है

जो भी है, अधूरा है !

तुम्हारे बाद संपूर्णता की धारा

मुड़ गई है शायद...

 

फ़ैज़ ने जो शब्द दिए थे

गोया सामने

तुम ही रहीं हों जैसे

“ तुझको देखा तो सैर-चश्‍म हुए

  तुझको चाहा तो और चाह न की”

 

तुम्हारे बाद

कोई नहीं

कोई नहीं

कोई नहीं

 

माधुरी दीक्षित !

संज्ञा नहीं विशेषण ...

 

       [२]

 

एक चेहरा जो हँसता है

जग सारा हँस पड़ता है

एक शख्स के खुश दिखने भर से

दिन कैसे संभल जाते हैं !

दिन कितने संभल जाते हैं  !!

 

वो शख्स भला हम क्यों ना हों

वो शख्स भला तुम क्यों ना हो !!

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