चित्र : इंटरनेट से साभार
मुस्कुराते रहिए
[१]
तुम्हारी मुस्कान ही है
पहचान तुम्हारी
जब नाम नहीं था
ढूँढ़ी गई मिसाल
बेहतरीन नामों में
और तुम ठहरीं
खुद ही बेमिसाल !
तुम्हारी उपस्थिति से
रजत-पट पर तटस्थ
कोई बचा होगा भला ?
तुमने तो अपने साथ
समय को भी बहा लिया जैसे
!
तुम्हारे बाद तो लगता है
जो भी है, अधूरा है
!
तुम्हारे बाद संपूर्णता
की धारा
मुड़ गई है शायद...
फ़ैज़ ने जो शब्द दिए थे
गोया सामने
तुम ही रहीं हों जैसे
“ तुझको देखा तो सैर-चश्म
हुए
तुझको चाहा तो और चाह न की”
तुम्हारे बाद
कोई नहीं
कोई नहीं
कोई नहीं
माधुरी दीक्षित !
संज्ञा नहीं विशेषण ...
[२]
एक चेहरा जो हँसता है
जग सारा हँस पड़ता है
एक शख्स के खुश दिखने भर
से
दिन कैसे संभल जाते हैं
!
दिन कितने संभल जाते हैं !!
वो शख्स भला हम क्यों ना
हों
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