सोमवार, 31 अगस्त 2020

सूरज डूबा...

चित्र : साभार - चिन्मयानंद


सोना पिघला
नभ जल में घुला
धरा अपरा

।।।

सूरज डूबा
पिघल गया नभ
धरती स्तब्ध 

।।।।

नभ का दुख
धरती स्याही-सोख
संध्या क्लान्त-सी 

।।।

अस्त-व्यस्त-सा
आकाश, धरा चुप
मन उन्मन 

।।।

बेचैन नभ
धरती स्थित-प्रज्ञ
मौन दर्शन 

।।।

आकाश बेबस-बेचैन
धरती निश्चल-निष्चेष्ट
सूरज चला गया है, तो
उदास-सी है शाम...

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