सोमवार, 3 अगस्त 2020

लालिमा साँझ की


                       चित्र व 'लालिमा साँझ की' पंक्ति - चिन्मयानंद                             

ललछौहीं ललछौहीं
लालिमा साँझ की
अपने में बाँध रही
लालिमा साँझ की

बादल में पसर रही
लालिमा साँझ की
मन में है उतर रही
लालिमा साँझ की

पेड़ों पर परछाहीं
लालिमा साँझ की
फैली हुई सियाही
लालिमा साँझ की


बस कि देखते रहें
लालिमा साँझ की
कि बैठे छकते रहें
लालिमा साँझ की

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कवि की क्लास

  कवि की क्लास [ एक सर्वथा काल्पनिक घटना से प्रेरित ]         ( एक)  हरेक  माल   सात  सौ  पचास वे  कवि   बनाते   खासमखास कवि बनो, छपाओ,  बँट...