रविवार, 13 अप्रैल 2025

कवि की क्लास


 
कवि की क्लास
[ एक सर्वथा काल्पनिक घटना से प्रेरित ]




        ( एक) 

हरेक  माल   सात  सौ  पचास

वे  कवि   बनाते   खासमखास


कवि बनो, छपाओ,  बँटवाओ

कुछ  वे  निकाल  देंगे  भड़ास


कवि  हैं  उनका  नाम  बहुत है

यूँही    नहीं    करते    सम्भाष


दाम चुका कवि को सुन  लीजे

वरना   कौन   डाले   है   घास


उनसे  क्या  ही   करें   उम्मीद

वे  तो  खुद   हैं    पानीफ़राश


कहें बड़े कवि जो  सुधा वचन

वही  छोटन  का    वाग्विलास


खदबद खदबद कवि करते हैं

उनपर  कोई    डाले   प्रकाश


उगे    हैं     जैसे     कुकुरमुत्ते

जैसे  बाद  बरखा   के   कास


दिल्ली   दूर  ही   रहे   अच्छा

अगर  हो  संगदिलों  का वास


  ( दो )


तुम्हारी उपेक्षा ने

मुझे और भी

आग्रही बना दिया है


मैं तुमको

मना कर ही दम लूँगा

अपना

बनाकर ही दम लूँगा  ! 


  ( तीन )


आपने सिखाया मैडम

कवि हमें बनाया मैडम


पैसा देते छप जाते

कहीं ना कहीं खप जाते

पैकेज में कमी थी जो 

आपने पुराया मैडम

आपने सिखाया मैडम


स्वयंसिद्ध स्व-अभिप्रमाणित

जाने कितने फिरते हैं

एक कहो सौ गिरते हैं

आपने उठाया मैडम

कवि हमें बनाया मैडम


नाम क्या, नई धारा है ! 

साहित्य को सँवारा है ! 

कितना भाईचारा है ! 

आपने निभाया मैडम

आपने सिखाया मैडम


अगली पंक्ति  बैठ बड़े

पिछलों को तो भाव न दें 

पीछे नीचे वालों को

हल्के सहलाया मैडम

कवि हमें बनाया मैडम


कितना अच्छा, निविदा हो! 

सबको कितनी सुविधा हो! 

संपादकों ने नहीं तो

मुफ्त सर खुजाया मैडम

कवि हमें बनाया मैडम


किसकी सुनता कौन यहाँ

किसको चुनता कौन यहाँ

सब ही उम्मीदवार हैं

अभी समझ आया मैडम

आपने सिखाया मैडम


पहुँच पैरवी जो लाए

वह तो जग पर छा जाए

वरना पिछली बेंच बैठ

रहे बौखलाया मैडम

आपने बचाया मैडम


माना कि अंगूर खट्टे

हम  सारे  खाते बट्टे

हम नाकारा नाकाबिल

है मन बौराया मैडम

हमें कवि बनाया मैडम  !! 


अग्रज सारे दिग्गज हैं

बाकी  सारे पदरज हैं

कुछ भी कर अग्रज होऊँ

कवि यही मनाया मैडम

आपने सिखाया मैडम


कौन कब ठगाया मैडम

कौन बरगलाया मैडम

चिकनी चुपड़ी बातों का

छुरा कौन चलाया मैडम

जग झूठा जग चालबाज

आपको फँसाया मैडम  !! 


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