सोमवार, 31 अगस्त 2020

सूरज डूबा...

चित्र : साभार - चिन्मयानंद


सोना पिघला
नभ जल में घुला
धरा अपरा

।।।

सूरज डूबा
पिघल गया नभ
धरती स्तब्ध 

।।।।

नभ का दुख
धरती स्याही-सोख
संध्या क्लान्त-सी 

।।।

अस्त-व्यस्त-सा
आकाश, धरा चुप
मन उन्मन 

।।।

बेचैन नभ
धरती स्थित-प्रज्ञ
मौन दर्शन 

।।।

आकाश बेबस-बेचैन
धरती निश्चल-निष्चेष्ट
सूरज चला गया है, तो
उदास-सी है शाम...

शुक्रवार, 7 अगस्त 2020

                              चित्र : सौजन्य - चिन्मयानंद
                             
तांबई मस्तक
निर्भीक निगाहें
तुम जो सुना चाहो
कह देंगी क्या चाहें...

है फ़ौलाद इरादों में
तुमको बता दें हम
बचपन,
अभी बचपन है
कभी हम भी जवां होंगे
तुम भी देख लेना
हम 
कल हो के क्या होंगे !!

छुई -मुई

                              चित्र : सौजन्य - चिन्मयानंद

आँखों भरी 
हरियाली
खिलता हुआ गुलाबी

छुई-मुई
छुई-मुई

छूते सकुचाए
लजाए, शरमाए

देखिए,
देखते रहिए
छूइए मत !

जैसे
छुई-मुई-सा
मन
जीवन
स्वप्न

'हैंडल विद केयर' !!


सोमवार, 3 अगस्त 2020

308


हे शिव, हे शंकर
हे भोले भंडारी
जो मरजी तुम्हारी
वही अरजी हमारी

तुम चाहो संहारो
तुम चाहो भव तारो
जो चाहो हो जाए
क्या काम भला भारी

अब कुछ तो कर दीजै
सुधि  सबकी ले लीजै
हैं भय में संशय में
चुप आशाएँ सारी

कुछ अच्छी खबरें हों
खुश हों सब, न डरे हों
अवधि बहुत बीती,अब
भली हो होनिहारी         

लालिमा साँझ की


                       चित्र व 'लालिमा साँझ की' पंक्ति - चिन्मयानंद                             

ललछौहीं ललछौहीं
लालिमा साँझ की
अपने में बाँध रही
लालिमा साँझ की

बादल में पसर रही
लालिमा साँझ की
मन में है उतर रही
लालिमा साँझ की

पेड़ों पर परछाहीं
लालिमा साँझ की
फैली हुई सियाही
लालिमा साँझ की


बस कि देखते रहें
लालिमा साँझ की
कि बैठे छकते रहें
लालिमा साँझ की

शनिवार, 1 अगस्त 2020

सपनों का रंग गुलाबी


दस जोड़ी आँखें
आँखों में कितनी बातें
देखिए तो सही...

कि जैसे
बातों का रंग गुलाबी
उनके 
सपनों का रंग गुलाबी
कि ऐसा खिलता हुआ गुलाबी
कहिए तो
देखा है कहीं ?! 

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