छत पर चलो
आसमान
देखेंगे बैठ के
बातें करेंगे चाँद से
चौकी पे लेट के
रात की रानी को
लिवा लाएगी हवा
पत्तियाँ चुपचाप से
देंगी कोई सदा
कुछ दूर तक
कुछ देर तक
फिर देखते रहेंगे
बैठे रहेंगे
बस,
यूँही बैठे रहेंगे
ना करेंगे कुछ
ना कुछ कहेंगे
क़ायनात
कहती रहेगी
सुनते रहेंगे हम
कुछ देर
अपने आप से
मिल लेंगे
हम ज़रा...
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