शाम कीखिड़की सेडूब गया सूरजछोड़ परछाइयाँगुलाबी-धूसरयादों केबक्से मेंतहा गयाएक दिन का सफ़ाकिताब ज़िन्दगी कीलिखी जा रहीहर्फ़-ब-हर्फ़
खिल उठती है धूप
सूरजमुखी को देख के
चमकने-दमकने लगते हैं
सूरजमुखी
खिली-खिली धूप में
संक्रामक
हो उठता है
माहौल खुशनुमा...
आओ
चलो
कुछ संक्रामक
करें हम भी
यूँ ही !