मंगलवार, 14 जनवरी 2025

माँ गुस्से में है

माँ गुस्से में है 


किसने

क्या कह दिया है

गुस्सा दिला दिया है

माँ ने

जैसे झाड़ू उठा लिया है

सब झाड़ दिए जाएँगे अब !

 

करते क्या रहते हो दिन भर

पढ़ते तक तो नहीं ढंग से

एक काम नहीं होता तुमसे

 

हर मौके पर डटी हूँ

रात-दिन रहती हूँ, खटती

मरती-खपती !

 

सब जाओ

चले जाओ

 

क्या बात हो गई है

पूछना चाहा पिता ने

 

आप चुप करें

बस अखबार ही पढ़ें

दुनिया भर को देखें

एक घर के सिवा !

 

चलता रहा एकालाप

माँ का -

 

घर, बाहर

दिन, रात

सब्जी, दूध

रोटी, भात

माता,पिता

कुल,परिवार

अच्छा,बुरा

खोटा, खरा

हिसाब-किताब

सब करो,सब करो

करते रहो, करते रहो

 

एक आवाज़

किस-किस की बात !

 

नदी में

आती है बाढ़

कुपित होती हैं

देवी कभी

 

मगर

जीवनदायिनी कौन !

शक्तिदायिनी कौन !

दया की वाहिनी कौन !

 

माता सम बस माता !

माता सम बस माता !


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