माँ गुस्से में है
क्या कह दिया है
गुस्सा दिला दिया है
माँ ने
जैसे झाड़ू उठा लिया है
सब झाड़ दिए जाएँगे अब !
करते क्या रहते हो दिन भर
पढ़ते तक तो नहीं ढंग से
एक काम नहीं होता तुमसे
हर मौके पर डटी हूँ
रात-दिन रहती हूँ, खटती
मरती-खपती !
सब जाओ
चले जाओ
क्या बात हो गई है
पूछना चाहा पिता ने
आप चुप करें
बस अखबार ही पढ़ें
दुनिया भर को देखें
एक घर के सिवा !
चलता रहा एकालाप
माँ का -
घर, बाहर
दिन, रात
सब्जी, दूध
रोटी, भात
माता,पिता
कुल,परिवार
अच्छा,बुरा
खोटा, खरा
हिसाब-किताब
सब करो,सब करो
करते रहो, करते रहो
एक आवाज़
किस-किस की बात !
नदी में
आती है बाढ़
कुपित होती हैं
देवी कभी
मगर
जीवनदायिनी कौन !
शक्तिदायिनी कौन !
दया की वाहिनी कौन !
माता सम बस माता !
माता सम बस माता !
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