रविवार, 27 सितंबर 2020

मेरे एस पी बालासुब्रमण्यम

 मेरे एस पी बालासुब्रमण्यम

 

रफ़ी साहब के गाने को आप आँखें बंद कर के सुनिए... पूरी परिस्थितियाँ, पूरा माहौल , पूरी भावनाएँ आपके सामने उपस्थित हो जाती हैं, आप उनको महसूस कर सकते हैं- रफ़ी साहब के बारे में बोलते हुए किसी टीवी शो में एस पी बालासुब्रमण्यम ने कुछ ऐसा ही कहा था । उनके चले जाने के बाद मैं एस पी बी की यही बात उनके बारे में सोच रहा हूँ । वे अपने गायन की बदौलत मेरे और मेरे जैसे कितनों के व्यक्तित्व में रच-बस गए हैं ।

       25 सितंबर के दिन में एस पी बालासुब्रमण्यम के निधन की खबर आई । हालाँकि उनकी तबीयत बहुत खराब चल रही थी, पर इस खबर का इंतज़ार कोई नहीं करता । थोडी देर के लिए करता हुआ काम छूट गया । यू ट्यूब ने गानों को कभी भी सुनने-देखने की सुविधा दे दी है । यू ट्यूब पर गाना सर्च किया – तूने साथी पाया अपना जग में इस जग में । अप्पू राजा के इस गाने को जाने कितनी बार सुना होगा । दर्द पर इस गाने ने कितनी बार मरहम रखा होगा । गाने अपने मूल अभिप्राय से निकल कर हर तरफ फैल जाते हैं । दूसरा गाना सुना –हम न समझे थे बात इतनी सी / ख्वाब शीशे के दुनिया पत्थर की। वह दौर था जब कुछ बनने की उम्मीद लिए कुछ न कर पाने, कुछ न हो पाने की बेचैनी मन में चक्कर काटने लगी थी । और वह बेचैनी बनी रहती है, और ज़ेहन में यह गाना भी ।  तीसरा गाना – सच मेरे यार है, बस वही प्यार हैफिल्म सागर से । कुछ-कुछ तूने साथी पाया अपनाजैसा ही ।  DDLJ और मैंने प्यार कियाके पहले के दौर का सिनेमा, जब प्यार का मतलब सह जाना भी था । ये तीनों गाने repeat पर डाल कर सुने । आँख भीगी-सी लगी । शायद कुछ कमज़ोर हो जाने का अहसास ! लेकिन ये गाने तो रहेंगे न !

          अब सोचता हूँ तो लगता है उनका पहला गाना जिसने अपनी ओर खींचा था , वह था –बेखुदी का बड़ा सहारा है, वरना दुनिया में कौन हमारा है। फिल्म एक ही भूल। इसके अलावा एक दूजे के लिएके गाने तो थे ही । उसमें भी हम तुम दोनों जब मिल जाएँगे /एक नया इतिहास बनाएँगे । बिनाका गीत-माला में बहुत बार सुना हुआ रास्ते प्यार केफिल्म का गाना ये वक़्त न खो जाएभी ।  

      क्या है एस पी बालासुब्रमण्यम में जो अपनी ओर खींचे रहता है ?  रफ़ी साहब की वही खासियत जिसके बारे में एस पी बी  चर्चा करते थे । इसके अलावा मुझे लगता है एस पी बालासुब्रमण्यम में यह खासियत है कि वे आपके अंदर उतर जाते हैं, आप में समा जाते हैं । वे आपके साथ-साथ चलते हैं । दर्द आपका होता है पर गाते वे हैं । मुझ जैसे हिंदी मीडियम बिहारी लड़के के लिए, जो सिर्फ़ सोचता ही था कि हम भी मुँह में ज़बान रखते हैं, एस पी बालासुब्रमण्यम ने पूछा भी और हाल सुनाया भी । उनके गायन में कुछ तो है जो दर्द को बयां भी करता है और उससे उबरने की ताकत भी देता है । उसमें डुबाए नहीं रखता है ।

       मैंने प्यार कियासे सलमान खान को आवाज़ मिली, पर उसके पहले मेरे लिए वे कमल हासन की आवाज़ बन चुके थे । कमल हासन गाएँ तो उन्हीं-जैसा गाएँगे । अप्पू राजा का राजा नाम मेरागाना सुन कर देखिए । कुछ वैसा ही कि राज कपूर गाते तो मुकेश के जैसा ही गाते । दीवानाके आखिरी सीन में राज कपूर दो लाइनें गुनगुनाते हैं सब ठाठ धरा रह जावेगा / जब लाद चलेगा बनजारा ।  

       रफ़ी साहब के जन्मदिन के अवसर पर जुलाई में जारी किए वीडियो में वे रफ़ी साहब के बारे में कहते हैं He is like a flower. I would say he is, not was.” यही बात उनके खुद के लिए भी कितनी सही है !! 

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