जीवन को जो देखिए, उड़े गए दिन रैन
कैसी भागमभाग है , नहीं चैन को चैन || 1
दुनिया रास किसे आइ, किसे मिला रे चैन
दिन में जो सोता रहा, जागेगा भर रैन || 2
कौन देस के तुम रहे, हम आए किस गाम
देखो कैसे हम मिले, भूल गए निज नाम || 3
हँसी-ठिठोली और है, भीतर से मन साफ
ऐसे तो नहीं सुनते, हँस के बोलो माफ || 4
कागज काले कर लिए, मन को लिया बुझाय
अभी समझें जग जीते, अभी कि छूटा जाय || 5
खुश रहिए बस आप से, अपने ही के खास
अपना आप ही अपना, कौन किसी के पास || 6
बच्चे आए जीत के, मम्मा की है जीत
खूब बधाइ आई है, पापा गाए गीत || 7
जितना जितना वो पढ़े , मम्मा उससे बीस
दो दो लोग पास करें , एकल दे के फीस || 8
सुबह सवेरे वो उठे, रात बिताए जाग
घड़ी-घड़ी है वो चले, एक घड़ी -सी भाग || 9
गुस्सा उसका देख के, बच्चा सहमा जाय
फिर भी दुनिया जो कहे, पास उसी के जाय || 10
नई उमर में सँग रहे, धीरे जाए छूट
फूटे बीज तभी बढ़े, न मानो गया फूट || 11
अपना अपना दुख सहें, और रहें गमगीन
जीवन ऐसा कर लिया, जल में तरसत मीन || 12
हँसना ठीक भूल गए, खुशी गई है भाग
बातें बीत-रीत गईं, जीवन खाली झाग || 13
कैसे याद उसे करे, दिन भर इतना काम
जो तू खुद न खोजेगा, समय न देंगे राम || 14
सूरज देरी आए तो , दिन क्या होता देर
करना होता है जिसे, उसे न बेर-कुबेर || 15
थोड़ा थोड़ा गर करो, इक दिन पुर ही जाय
जो टला एक बार तो, फिर टलता ही जाय || 16
भर रस्ते मिलते रहे, टाले-टाल पुआल
धान ले के आए हैं, कितने भले खयाल || 17
जब भी बेटी हो विदा , हो खाली घरबार
दूजे घर में जा रहे, नया बसे संसार || 18
धान तो धन-धान्य है, खेतों की है जान
धान लाए घर खुशियाँ, मान बढ़ाए धान || 19
धान पहनना व गहना, धान चमका सोना
धान का पाना पाना , खो गया तो खोना || 20
पके धान से रँग गया, पूरा ही खलिहान
पूरी धरती धान की, धान-धान दिनमान || 21
पानी हारि पनिहारी, फूटी मटकी-प्रेम
सजन, ढिग आऊँ कैसे, इत-उत छूटे नेम || 22
मैं रहा जग के भीतर, उलझ-उलझ दिन-रात
माया है महाठगिनी, करती है उत्पात || 23
घट-घट भर के रास,रस, अब काहे मुस्काय
टूट गया कि तोड़ा गया , कौन अभी बतलाय || 24
बात पुरानी हो गई, मुँह काहे लटकाय
देखो अपनी छाप को,नित-नित निखरी जाय || 25
अपने मत्थे पड़ गया, इ तुगलकी फरमान
परेशान हर आदमी, जान-जान हलकान || 26
मूढ़ता लाय
मूढ़ता , और बैर को बैर
बुद्धि
कोने में दुबकी, मनाय अपनी खैर || 27
ढोल नगाड़े
बज रहे , कान में कुछ न जाय
समझे बूझे
कुछ नहीं, फिर भी कूदे
जाय || 28
खूब टिकाने
को मिला, सबकी उस पर टेक
कस-कसा
सब फेंक रहे, तू भी कस कर फेंक || 29
सब बोलें
बोल कुबोल, सब नाचें सब ओर
घोर अँधेरा
हो चुका, अब इससे क्या घोर || 30
अपनी बानी
रोकिए, करनी
लीजै थाम
बस बैठें
चुपचाप सब, नहीं बिगाड़ें काम || 31
दिखने वाला
सच नहीं, ना सुनी हुई ही बात
देखे दिन उजले
नहीं, ना काली ही रात || 32
साहब हाकिम
लोग सब, नहीं सुनेगा कोय
धरिए धीर को अपने , वही सहारा होय || 33
अपनी ही
ताली बजा, ठोके अपनी पीठ
गलती पर
हँसती रहे, दुनिया कितनी ढीठ || 34
ढोंग रचाने
से कहो, धरम कहाँ निभ पाय
सबके आगे
जो कहे, सूने में पछताय || 35
चाल भी
बदले वही, कंधा वही मिलाय
सबको आगे
कर रखे , फिर पीछे रह जाय || 36
बाहर हँसना
जानती, भीतर चाहे रोय
बाहर देखें
लोग सब, भीतर देखे कोय || 37
एक दिवस
की बात है , चट से बीता जाय
धरम निभा
के देखिए, मन
कैसा हो जाय || 38
पूरा हफ्ता है
भरा, पूरा है आदेश
असली रँग
मिटता नहीं, लाख बनाओ वेश || 39
हाथ जुड़ें
बिन बात के, बात में मिसरि डाल
दाँत निपोड़े आदतन, मोटी कर ली खाल || 40
अपना दही है मीठा, बातों में है जोर
उनकी ऐसी
बात पर, न कोई मचाओ शोर || 41
पद के मद
सा मद नहीं, ना है कोई भार
पद पद करते सब मुए, पागल है संसार || 42
गलती सबकी देख के, माथा ले गरमाय
गलत गलत
ही है सही, अल्ला जान बचाय || 43
बोली फूटे
दीन पर, वरना फुटें न बोल
शेर बने है मेमना, खुल जाएगी पोल || 44
अपना हित
साधे रहे, भले कहे कुछ और
रस्ता ज्ञानी
लोग का, यही आज का तौर || 45
अपनी बानी
बोल के , रहे लार टपकाय
ताली भी
अपनी वही, खुद ही पीटे जाय || 46
चाचा मामा भईया
, सर इंजन सब रेल
दुनिया
सर सर कर रही, सबको पीछे ठेल || 47
सर करें सत्कर्म
वही, सर जो बोलें बोल
अँधे को
दिख जाए जो, वो करते आँखें खोल || 48
अपनी करनी
देख के, आप रहे पछताय
जी सर जी
मैम बोले, गंगा रोज नहाय || 49
पाँच-पाँच
मिनट करते, दिन तो जाए बीत
गया समय
लौटे नहीं, यही समय की रीत || 50
दुख बाँटे
बँटता नहीं, सुख
बाँटे न कोय
ऐसे में
किसका भला, क्या समझाऊँ तोय || 51
बिन बात
के बात करे , बिन मौके इतराय
मौके सोभे बात
सब, कौन उसे समझाय || 52
आज करें
कल हो जाय, परसों हीरो होय
करने से सपने
पुरें, ये बतलाओ कोय || 53
आँखें मूँदे राखिए, बने रहेंगे मीत
भले वचन
भी आपके, उनको लगते तीत || 54
अपनी करनी
देख के, फिर ही दीजे सीख
चाहे मिसरी
हो घुली, फिर भी लागे तीख || 55
खुली खुली
हर बात है, कोई नहीं लजाय
बेटा बैठे
फैल के, बाप
खड़ा ठिसुआय || 56
बेटा दिखाए
आँखें, बेटा
मारे
लात
कलजुग जैसे
लोग हैं, कलजुग जैसी बात || 57
बाप हुआ
तो क्या हुआ, करनी देखें आप
अपने जो
ना सो करें, बच्चों बोलें पाप || 58
एक अकेला
क्या करे, अपना रस्ता नाप
अपने पथ
से ना डिगे, रह जाएगी छाप || 59
हमको कुछ
समझे नहीं, कैसे लें मनवाय
दिन अब
वैसे ना रहे, खुद को लो समझाय || 60
चाहे कुछ
भी बोलिए, पकड़ें उल्टा छोर
चाहे अपनी
बात का, कोई ओर न छोर || 61
दूजों को
तो देख मत, अपने बारे जान
बस धरा
रह जाएगा, जो भी है अभिमान || 62
बाँटे कहीं
बँटे नहीं, रोए
ना घट जाय
अच्छी बातें
सोचिए , दुख थोड़ा छँट जाय || 63
बैठे ज्यादा देर तक, बैठे ही रह जाय
जड़ता जब छाए घनी, चेतन जड़ हो जाय ॥ 64